राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के ताज़ा बयान ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा कि जब सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष थे, तब भी संगठन पूरी तरह से मजबूत था। अगर संगठन मजबूत नहीं होता, तो कांग्रेस सत्ता में कैसे आती? इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
डोटासरा जयपुर में मीडिया से बातचीत कर रहे थे, जब उन्होंने यह टिप्पणी की। उन्होंने यह बयान उस समय दिया जब उनसे पूछा गया कि सचिन पायलट के कार्यकाल के दौरान संगठन कमजोर था या नहीं। उनके इस बयान को पायलट पर परोक्ष कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है।
बातचीत के दौरान डोटासरा ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की मिलीभगत से नेताओं की फोन टैपिंग की जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि जब बीजेपी सत्ता में होती है, तो CBI और ED जैसी एजेंसियां निष्क्रिय क्यों हो जाती हैं और जैसे ही कांग्रेस की सरकार आती है, ये एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं?
डोटासरा ने यह भी जानकारी दी कि कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, जो ज़मीनी हकीकत की रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस रिपोर्ट को दिल्ली में हाईकमान को सौंपा जाएगा। डोटासरा ने कहा कि इस रिपोर्ट से यह तय होगा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट किसे मिलेगा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि 60 दिनों में 60 जिलों का दौरा कर संगठन को मजबूत करने का अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान विधानसभा चुनाव 2028 की रणनीति का हिस्सा है।
डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस एक अनुशासित पार्टी है और हर कार्यकर्ता को पार्टी के नियमों का पालन करना चाहिए। पार्टी में जो भी असंतोष है, उसे संगठन के भीतर ही सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के चलते पार्टी को नुकसान पहुंचाता है, तो उस पर कार्यवाही ज़रूरी है।
डोटासरा का बयान कई मायनों में अहम है। यह बयान सिर्फ संगठन की मजबूती की बात नहीं करता, बल्कि यह इस बात का भी इशारा है कि कांग्रेस के अंदर अभी भी गुटबाज़ी खत्म नहीं हुई है। पायलट और गहलोत के बीच का टकराव पहले भी सुर्खियों में रहा है और अब डोटासरा की यह टिप्पणी उस पुराने विवाद को फिर से जीवित कर सकती है।
हालाँकि अभी तक सचिन पायलट की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो उनके समर्थकों ने इस बयान को गैरज़रूरी और उकसावे वाला बताया है। उनका कहना है कि जब पार्टी एकजुटता की बात कर रही है, तब इस तरह के बयान नुकसानदेह हो सकते हैं।
डोटासरा ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी विकास की राजनीति नहीं कर रही, बल्कि समाज को बांटने का काम कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के नेताओं को जनता से कोई लेना-देना नहीं, वे केवल झूठे वादों और नफरत की राजनीति में विश्वास रखते हैं।
डोटासरा ने कहा कि 2018 में जब कांग्रेस सत्ता में आई, तो उसके पीछे तत्कालीन वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की भी बड़ी भूमिका थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस की जीत सिर्फ एक व्यक्ति की मेहनत नहीं, बल्कि पूरे संगठन की सामूहिक शक्ति का परिणाम थी।
डोटासरा का यह बयान न केवल पायलट गुट को एक सख्त संदेश है, बल्कि यह आगामी चुनावों से पहले पार्टी के भीतर अनुशासन और एकता बनाए रखने की कोशिश भी है। कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट है – संगठन को मज़बूत करना, जनता से सीधे जुड़ना और पार्टी के अंदर विरोधी स्वर को नियंत्रित रखना।
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का बयान मौजूदा राजनीतिक माहौल में कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक ओर यह बयान कांग्रेस संगठन की मजबूती की बात करता है, वहीं दूसरी ओर यह पार्टी के भीतर की राजनीति की जटिलताओं को भी उजागर करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सचिन पायलट और उनके समर्थक इस बयान पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और कांग्रेस हाईकमान किस तरह से पार्टी में एकजुटता बनाए रखने का प्रयास करता है।
राजस्थान की राजनीति में फिलहाल कांग्रेस पार्टी के भीतर की हलचलें सबसे प्रमुख विषय बन चुकी हैं। गोविंद सिंह डोटासरा के बयान ने इस हलचल को और बढ़ा दिया है। ऐसे समय में जब पार्टी को एकजुट होकर आगामी चुनावों की तैयारी करनी चाहिए, ऐसे बयानों से पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है।