राजस्थान में छात्र राजनीति को लेकर एक बार फिर नई चर्चा शुरू हो गई है। NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के जयपुर में आयोजित एक प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने student union elections को लेकर बड़ा बयान दिया है।
पायलट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि —
“सरकार को जल्द से जल्द छात्रसंघ चुनाव कराने का निर्णय लेना चाहिए। हार-जीत किसी की भी हो सकती है, लेकिन छात्र राजनीति को जीवित रहना चाहिए।”
यह बयान उस समय आया है जब राजस्थान की विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लंबे समय से छात्रसंघ चुनाव नहीं हो रहे हैं। ऐसे में पायलट की यह मांग युवाओं और छात्रों की आवाज़ को बल देती है।
जयपुर में हुए NSUI प्रदर्शन में हजारों छात्र इकट्ठा हुए थे। उनकी मुख्य मांग थी कि सरकार छात्रसंघ चुनावों की तारीख़ घोषित करे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए।
Sachin Pilot on student union elections विषय पर बोलते हुए उन्होंने यह भी जोड़ा कि –
“राजनीति की नींव विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में ही रखी जाती है। आज के छात्र कल के नेता होंगे। उन्हें नेतृत्व करने का मौका मिलना चाहिए।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Sachin Pilot on student union elections का यह बयान सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम है। छात्र राजनीति हमेशा से कांग्रेस की ताकत रही है और NSUI को मज़बूती देने की कोशिश भी इससे झलकती है।
साथ ही, इससे यह भी संकेत मिलता है कि सचिन पायलट युवा मतदाताओं को साधने की योजना में हैं। यह भाषण स्पष्ट करता है कि वे छात्रों के भविष्य और नेतृत्व विकास को लेकर गंभीर हैं।
छात्रसंघ चुनाव सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतंत्र की पहली सीढ़ी मानी जाती है। इसी मंच से नेता बनते हैं, भाषण देना, संगठन चलाना, जनसमर्थन पाना – ये सब छात्र राजनीति की देन है।
Sachin Pilot on student union elections जब कहते हैं कि “चुनाव हों, चाहे कोई भी जीते”, तो वे लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को मजबूती दे रहे होते हैं।
सचिन पायलट के इस बयान ने सरकार पर दबाव भी बना दिया है। अगर आने वाले समय में छात्रसंघ चुनावों की घोषणा होती है, तो इसका बड़ा श्रेय NSUI और पायलट के प्रयासों को जाएगा।
कांग्रेस अब इस मुद्दे को जन आंदोलन बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
Sachin Pilot on student union elections के माध्यम से यह साफ होता है कि वे युवाओं की भागीदारी को सिर्फ संख्या नहीं, नीतिगत भागीदारी के रूप में देखना चाहते हैं। छात्रसंघ चुनावों के ज़रिए युवा न केवल प्रशासनिक समझ विकसित करते हैं, बल्कि सामाजिक न्याय, नेतृत्व क्षमता और जनसंवाद जैसी योग्यताओं में भी दक्ष होते हैं। सचिन पायलट का यह रुख यह भी दर्शाता है कि वे एक ऐसे नेतृत्व की कल्पना करते हैं जो नीचे से ऊपर की प्रक्रिया से विकसित हो।
Sachin Pilot on student union elections एक ऐसा विषय है जो युवाओं की राजनीति में भागीदारी को आगे लाता है। सचिन पायलट ने NSUI के मंच से यह संदेश दिया कि लोकतंत्र केवल संसद या विधानसभा तक सीमित नहीं है, उसकी जड़ें विश्वविद्यालयों में हैं।
उनकी यह अपील केवल एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि छात्र राजनीति को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है।